मंगरैला (कलौंजी) के लाभ, उपयोग :Nigella Seeds
Kalonji benefits and uses in hindi - मंगरैला (कलौंजी) के फायदे, लाभ, उपयोग पर भरोसेमंद जानकारी
कलौंजी (मंगरैला) के फायदे - Kalonji (Nigella Seeds) benefits and uses in hindi
कलौंजी (मंगरैला) के फायदे |
परिचय
भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में विशेषतया पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा आसाम में इसकी खेती की जाती है। इसके बीज सुगन्धित, त्रिकोणाकार, झुर्रीदार तथा काले वर्ण के होते हैं। बीजों को मसलने से उनमें सुगन्ध आती है। इसका बीजों का प्रयोग मसालों के रूप में सर्वत्र भारत में किया जाता है।
अन्य भाषाओं में कलौंजी के नाम (Name of Kalonji in Different Languages in Hindi)
भारत के अन्य प्रांतों में कलौंजी को भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता है।
Kalonji in-
वानस्पतिक नाम : Nigella sativa Linn. (नाईजेला सेटाईवा)
Syn-Nigella cretica Mill.
कुल : Ranunculaceae (रैननकुलैसी)
अंग्रेज़ी नाम : Black cumin (ब्लैक क्युमिन्)
- संस्कृत- पृथु, उपकुञ्चिका, पृथ्वीका, स्थूलजीरक, कालिका, कालाजाजी;
- हिन्दी- कालाजीरा, कलवंजी, कलौंजी, मंगरैल;
- उर्दू- कलोंजी (Kalonji); कोंकणी-करीजीरे (Karijiry);
- कन्नड़- करे जीरगे (Kare jirage), कलौंजी (Kalaunji), करीजीरगी (Karijirigi);
- गुजराती- कलौंजी जीरु (Kalaunji jiru), कलौंजीजीरम (Kalonjijiram), करीमसीरागम (Karimsiragam);
- तमिल- करूँजीरागम (Karunjiragam), करूणीएरकम (Karunierkam), करूँजीरागम (Karunjiragam);
- तैलुगु- नुल्लाजीलकारा (Nullajilakara), नेल्लाजीलाकैरा (Nellajeelakaira);
- बंगाली- मोटा कालीजीरे (Mota kalijeere), कालीजीरा (Kalijira), कालजीरा (Kalzira), मुंगरैला (Mungrela), कृष्णजीरा (Krishnajira);
- नेपाली- मुंगेलो (Mungrelo);
- पंजाबी- कालवन्जी (Kalvanji);
- मराठी- कलौंजी जीरें (Kalonzee jeeren), कालेजीरे (Kale jire);
- मलयालम- करूँचीरगम (Karunchiragam), करींजीरकम (Karinjirakam)
- अंग्रेजी- नाईजैला (Nigella), स्मॉल फेनेल (Small fennel), नटमेग ऐफ्लावर (Nutmeg flower);
- अरबी- हब्बातुस्सुदा (Habbatussuda), कामूनीअसवद (Kamuneasvad), शुनिझ (Shuniz);
- फारसी- स्याहदाना (Siyahdana), शूनीज (Shuneez)
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
- कलौंजी कटु, तिक्त, उष्ण, लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण, सर, वातकफशामक तथा पित्तवर्धक है।
- यह दीपन, पाचन, बलकारक, जन्तुघ्न, रुचिकारक, सुगन्धित, आर्तवप्रवर्तक, संग्राही, गर्भाशय शोधक, चक्षुष्य, मेध्य, हृद्य,
- गर्भप्रद, वृष्य, सुगन्धित तथा ज्वर, गुल्म, आमदोष, आध्मान, दुर्गन्ध, अतिसार, हृद्दाह, अजीर्ण, वमन, शिरोरोग, कृमिरोग, कुष्ठ, प्रमेह व वातजशूल का शमन करती है।
- फल तैल कटु, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, सर वातकफशामक, कृमिरोग, कुष्ठ, प्रमेह तथा शिरोरोग नाशक होता है।
- इसका बीज तैल ऑक्सीकरणरोधी गुण प्रदर्शित करता है।
कलौंजी के फायदे - Benefits and Uses of Kalonji in Hindi
कलौंजी के फायदे और कलौंजी के नुकसान की जानकारी देंगे। साथ ही इसे आहार में शामिल करने में किस तरह की कठिनाई न हो, इसलिए कलौंजी का उपयोग करने के कुछ तरीके भी बताएंगे।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
खालित्य (गंजापन) - बालों का झड़ना रोकने में कलौंजी फायदेमंद (Kalonji Benefits in Hair Loss in Hindi)
बालों का झड़ना रोकने में कलौंजी फायदेमंद |
कलौंजी को जलाकर तैल में मिलाकर सिर में लगाने से खालित्य में लाभ होता है।
और पढ़ेंः बालों को झड़ने से रोकने के घरेलू उपाय
भूशूल - आँखों के रोगों में लाभकारी है कलौंजी का उपयोग (Benefits of Kalonji in Eye Problems Treatment in Hindi)
12 ग्राम मंगरैल चूर्ण को पुराने गुड़ में मिलाकर सात गोली बनाकर सेवन करने से दृष्टि को क्षीण करने वाले भूशूल का शमन होता है।
नेत्ररोग- आँखों के लिए कलौंजी के फायदे (Kalonji Beneficial for Eyes in Hindi)
समभाग मंगरैल, दारुहल्दी, मञ्जिष्ठा, लाक्षा, दोनों मुलेठी (1. जलज मुलेठी 2. स्थलज मुलेठी) तथा नीलकमल के क्वाथ में शर्करा मिलाकर, नेत्रों में बूँद-बूँद कर डालने से रक्त तथा पित्त जन्य नेत्र रोगों का शमन होता है।
प्रतिश्याय या जुकाम से दिलाये राहत कलौंजी (Kalonji Benefits for Cold in Hindi)
- समभाग दालचीनी, तेजपत्ता, मरिच, छोटी इलायची तथा मंगरैल के चूर्ण का नस्य लेने से नव प्रतिश्याय (नये साधारण जुकाम) में लाभ होता है।
- चोरपुष्पी, अरणी त्वक्, बालवच, जीरा तथा मंगरैल के चूर्ण की पोटली बाँधकर सूँघने से प्रतिश्याय (साधारण जुकाम) में लाभ होता है।
- कलौंजी के बीजों को भूनकर, पोटली बनाकर सूंघने से प्रतिश्याय (साधारण जुकाम) में लाभ प्राप्त होता है।
हिक्का- हिचकी की परेशानी में कलौंजी का सेवन (Benefits of Kalonji for Hiccup Problem in Hindi)
हिचकी की परेशानी में कलौंजी का सेवन |
3 ग्राम मंगरैल चूर्ण में समभाग मक्खन मिलाकर खाने से हिक्का (हिचकी) बंद हो जाती है।
तमक् श्वास- ब्रोन्कियल अस्थमा
3 ग्राम मंगरैला चूर्ण में 6 ग्राम शर्करा मिलाकर खाने से तमक् श्वास में लाभ होता है।
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उदररोग - पेट दर्द से आराम (Kalonji beneficial in Stomach pain in Hindi)
कालाजाजी आदि द्रव्यों से निर्मित चूर्ण का विभिन्न अनुपानों के साथ प्रयोग करने पर सभी प्रकार के उदर रोगों का शमन होता है।
अर्श (बवासीर) (तक्रारिष्ट)- कलौंजी के इस्तेमाल से बवासीर का इलाज (Uses of Kalonji in Treatment of Piles in Hindi)
- कालाजाजी आदि द्रव्यों से निर्मित तक्रारिष्ट (5-10 मिली) का सेवन अग्निवर्धक, रुचिकारक, कांतिवर्धक, कफ एवं वातदोष को शरीर से बाहर निकालने वाला गुद-प्रदेश की सूजन (खुजली) तथा पीड़ा का शमन करने वाला होता है।
- मंगरैल का क्षार जल के साथ पीने से तथा राख को मस्सों पर मलने से अर्श में लाभ होता है।
कामला (पीलिया)- पीलिया रोग में कलौंजी से फायदा (Kalonji Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)
पीलिया रोग में कलौंजी से फायदा |
मंगरैल के 7 बीजों को दुग्ध में पीसकर, नस्य लेने से कामला (पीलिया) में लाभ होता है।
अश्मरी- अश्मरी दिलाये राहत कलौंजी (Kalonji Benefits in Kidney Stone in Hindi)
मंगरैला के 3 ग्राम बीजों को पीसकर उसमें मधु मिलाकर जल के साथ सेवन करने से अश्मरी में लाभ होता है।
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योनिशूल से दिलाये राहत कलौंजी (Kalonji to Treats Vaginodynia in Hindi)
समभाग पिप्पली (1-2 ग्राम) तथा मंगरैला चूर्ण में नमक मिलाकर काञ्जी में घोलकर पीने से योनिशूल का शमन होता है।
सूतिका रोग में कलौंजी का इस्तेमाल लाभदायक (Kalonji Benefits after Post Delivery Problems in Hindi)
- प्रसवोपरान्त प्रसूता त्री द्वारा मगरैंला के क्वाथ (10-20 मिली) का सेवन करने से गर्भाशय का शोधन होता है, ज्वर आदि रोगों में लाभ होता है तथा स्तन्य की वृद्धि होती है।
- मंगरैल के श्वेत तैल से जननेन्द्रिय का अभ्यंग करने से कामशक्ति की वृद्धि होती है।
स्तन्यशोधनार्थ- स्तन्य (दुग्ध) विकारों का शमन
स्तन्यशोधनार्थ- स्तन्य (दुग्ध) विकारों का शमन |
- स्तनपान करनेवाली महिलाएं अगर कलौंजी कुछ दिन सेवन करे तो दूध की मात्रा बढ़ती हैं व दूध की क्वालिटी में सुधार आता हैं।
- धात्री को तीक्ष्ण वामक द्रव्यों से वमन तथा संसर्जन कर्म कराने के पश्चात् समभाग तगर, मंगरैल, देवदारु तथा इन्द्र जौ से निर्मित क्वाथ (10-20 मिली) पिलाने से स्तन्य (दुग्ध) विकारों का शमन होता है।
वातरोग के लिए कलौंजी का उपयोग फायदेमंद (Kalonji Beneficial to Get Relief from Gout in Hindi)
मंगरैल के श्वेत तैल की मालिश करने से पक्षाघात (लकवा) तथा एकांगघात आदि में लाभ होता है।
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नारू- नाखून के रोग से दिलाये राहत कलौंजी - (Benefits of Kalonji in Nail Related Disorder in Hindi)
तक्र के साथ मंगरैल को पीसकर नारू (नख रोग) पर लगाने से तीन दिनों में ही लाभ होने लगता है।
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त्वग् विकार- त्वचा के रोगों को ठीक करता है कलौंजी (Kalonji Uses in Skin Diseases in Hindi)
मंगरैल बीज चूर्ण को तिल तैल के साथ पीसकर लगाने से त्वचा के रोगों का शमन होता है।
अपस्मार- मिर्गी में कलौंजी के फायदे (Benefits of Kalonji for Epilepsy in Hindi)
अपस्मार- मिर्गी में कलौंजी के फायदे |
मंगरैल तैल की मालिश करने से तथा 1-1 बूँद तैल का नस्य (नाक में डालना) के रूप में प्रयोग करने से अपस्मार में लाभ होता है।
कलौंजी का उपयोग – How to Use kalonji in Hindi
प्रयोज्याङ्ग :बीज तथा तैल।
मात्रा :चूर्ण 3-6 ग्राम। तैल 1 बूँद या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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