बच्चों की खांसी का घरेलू उपचार - बच्चों की खांसी की दवा व लक्षण Home Remedies For Cough In Babies In Hindi

बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय और नुस्खे -  Bache Ki Khansi Thik Ke Gharelu Upay In Hindi

khasi ki dawa- जानिए कैसी भी हो बच्चों की खासी को जड़ से खत्म करने वाले घरेलू रामबाण इलाज इस लेख में पढ़े अथ्वा Comnetin  द्वारा जानिए बच्चों की खांसी की दवा व लक्षण

बच्चों की खांसी का घरेलू उपचार - बच्चों की खांसी की दवा व लक्षण (Bacho Ki Khansi ki Dawa)

बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय
बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय

बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय नुस्खे उपचार के साथ छोटे बच्चों की खांसी ठीक दूर करने के उपाय तरीके नुस्खे के बारे में जानना चाहते हैं टी इस लेख में bache ki khansi dur thik karne ka tarika upay nuskha ke sath bachon ki khansi ke gharelu nuskhe, home remedies for baby child cough in hindi के बारे में बताया गया है 

बच्चों की खांसी (Cough in Children)

बच्चों को सर्दी-जुकाम और खाँसी अधिक हो जाती हैं। खांसी रोगों के बारे में चेताने के लिए शरीर द्वारा की गई एक प्रतिक्रिया है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण, तथा वायरल इन्फेक्शन (Viral infection) के कारण श्वास नलिका में सूजन आ जाती है। इससे बच्चों को खाँसी हो जाती है। 

बच्चों की खाँसी के प्रकार (Types of Cough in Kids)

आयुर्वेद के अनुसार, खांसी पाँच तरह की होती है, जिनका नाम वातज, पित्तज, कफज और क्षतज और क्षयज खांसी है। वातज, पित्तज और कफज त्रिदोष से संबंधित हैं, लेकिन क्षतज और क्षयज किसी दूसरे कारणों से होती है। यह खांसी ज्यादा खतरनाक होती हैं। इनकी पहचान ऐसे की जा सकती हैंः-

वातज खांसी

वातज खाँसी में कफ बेहद कम निकल पाता है, या बिल्कुल नहीं निकलता। कफ निकालने की कोशिश में खाँसी लगातार परेशान करती है। पसलियों, पेट, छाती वगैरह में दर्द होने लगता है।

पित्तज खांसी

पित्तज खाँसी में कफ का स्वाद कड़वा होता है। खाँसते-खाँसते उल्टी हो जाए, तो पीला, कड़वा पित्त निकलता है। प्यास लगती है। शरीर में जलन होती है।

कफज खांसी

कफज खाँसी में कफ ढीला होकर आसानी से निकलता रहता है। कफ का स्वाद मीठा और मुँह का स्वाद फीका हो जाता है। भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है। आलस्य छाया रहता है।

क्षतज खांसी

क्षतज खाँसी अलग कारणों से पैदा होती है। यह भारी बोझ उठाने, शरीर द्वारा अधिक ताकत लगाने, ज्यादा क्रोध करने आदि के कारण होती है।

क्षयज खांसी

क्षयज खाँसी सबसे ज्यादा घातक होती है। यह संक्रामक होती है। इसमें शरीर को नुकसान होने लगता है। यह टीबी रोग का शुरुआती संकेत होती है। इसमें शरीर में बुखार और दर्द रहने लगता है। शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है। इसके इलाज (khansi ka ilaj) में देरी ठीक नहीं होती।

और पढ़ें: खांसी में हल्दी के फायदे

बच्चों को खाँसी होने के कारण (Causes of Cough in Kids)

बच्चों को खाँसी होने के कारण
बच्चों को खाँसी होने के कारण

बच्चों को खाँसी होने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से दो कारण होते हैं-

  • बच्चों का शरीर वयस्क लोगों की तरह आसानी से शारीरिक तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता है। ठण्ड के दिनों में शरीर को गर्म रख सके तथा गर्म के दिनों में ठण्डा नहीं रख पाता। इससे बच्चों को खांसी हो जाती है।

  • बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती है। इस वजह से शिशु का शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं होता।

बच्चों को खाँसी होने के अन्य कारण

बच्चों में खांसी होने के ये अन्य कारण हो सकते हैंः-

सर्दी-जुकाम (Cold and Cough)

अगर आपके शिशु को सर्दी-जुकाम की वजह से खाँसी हो रही हो, तो बच्चे को बन्द नाक, बहती नाक, गले में खराश, आँखों में पानी और बुखार जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। जुकाम की वजह से बनने वाले अतिरिक्त श्लेम को निकालने के लिए शिशु खाँसता है।

फ्लू (Flue)

फ्लू के लक्षण सर्दी-जुकाम की तरह ही लग सकते हैं। अगर आपके शिशु को फ्लू हो तो उसे बुखार, नाक बहने और दस्त (डायरिया) या उल्टी जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। फ्लू की वजह से होने वाली खाँसी, जुकाम वाली खाँसी से अलग होती है। यह बलगम वाली खाँसी की बजाय सूखी खाँसी होती है। खाँसी के साथ काफी कम बलगम निकल रहा होगा।

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क्रूप (Croup)

अगर शिशु को क्रूप हो तो उसे वायु मार्ग में सूजन होने की वजह से खाँसी होती है। शिशुओं का वायु मार्ग वयस्क की तुलना में काफी संकरा होता है। इसलिए इसमें सूजन होने पर शिशु के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। छह माह और तीन साल के बीच के बच्चों को क्रूप होने की संभावना ज्यादा होती है। क्रूप खाँसी में भौंकने जैसी आवाज निकलती है। यह अक्सर रात में शुरू होती है।

काली खाँसी (Whooping Cough)

काली खाँसी को कुछ स्थानों पर कुक्कर खाँसी भी कहते हैं। काली खाँसी(कुक्कर खाँसी) एक जीवाण्विक इनफेक्शन (बैक्टिरियल इंफेक्शन) है। यह काफी संक्रामक होती है। काली खाँसी में खांसी बहुत अधिक और सूखी होती है। इसमें बहुत सारा श्लेम निकलता है। खाँसते समय सांस लेते हुए उच्च स्वर या ध्वनि (Whoop Sound) निकलती है। वास्तव में यह गम्भीर बीमारी है, इसलिए इससे बचाव का टीका भी बच्चों को जन्म के बाद लगा दिया जाता है। इसके बाद भी अक्सर बच्चे इसकी चपेट में आ जाते हैं।

और पढ़ें – काली खांसी में सर्पगंधा के फायदे

दमा (Asthma)

शिशु को दमा की वजह से भी खाँसी हो सकती है। अस्थमा से ग्रस्त शिशु की सांस लेते व छोड़ते समय सांसें फूलती हैं। उनकी छाती भी कस जाती है, और सांस की कमी होने लगती है।

तपेदिक (Tuberculosis)

लगातार रहने वाली खांसी टी.बी. का लक्षण हो सकती है। टी.बी. की खांसी दो सप्ताह से ज्यादा रहती है। टी.बी. से ग्रस्त शिशु की खाँसी में खून आ सकता है। सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। भूख कम लगती है। शिशु को बुखार भी हो सकता है।

प्रदूषण (Pollution)

कई बार हवा में फैले हुए धुएँ, केमिकल्स या पेंट इतना अधिक प्रदूषण कर देते हैं कि इससे छोटे बच्चों के गले में परेशानी शुरू हो जाती है।

बच्चों की खाँसी के लक्षण (Symptoms of Children’s Cough)

ये बच्चों की खांसी के लक्षण होते हैंः-

  • सर्दी-जुकाम के चलते खाँसी और बलगम हो सकता है। इस अवस्था में बच्चे को रात में अधिक परेशानी होती है।

  • अस्थमा के कारण होने वाली खाँसी में बच्चे को घरघराहट और साँस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

  • बच्चे को खराश युक्त खाँसी होती है तो यह लक्षण क्रूप खाँसी की हो सकती है।

  • कई बार बच्चे को खाँसते-खाँसते ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

  • यदि खाँसी और सांस दोनों की परेशानी हो रही है तो ये ब्रोंकोलाइटिस  (Broncholithiasis) के लक्षण हो सकते हैं।

  • अगर बच्चे को खाँसी दो तीन हफ्तों से ज्यादा रहती है तो यह स्थिति गम्भीर हो सकती है।

और पढ़ें – लोकाट से खाँसी का इलाज

बच्चों की खाँसी के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Cough in Kids in Hindi)

बच्चों को खांसी हो तो आप इन दवाओं से ठीक कर सकते हैंः-

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा अंगूर (Grapes: Home Remedy for Cough in Children’s in Hindi)

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा अंगूर
बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा अंगूर

आप खांसी की दवा (khasi ki dawa) के रूप में अंगूर का सेवन करा सकते हैं। कफ निकालने के लिए अंगूर प्राकृतिक रूप से काम करता है। ये फेफड़ों से कफ निकाल देता है। इसके रस में शहद मिलाएं। इस रस को बच्चे को सोने से पहले थोड़ा-सा पिलाएँ।

और पढ़ेंः अंगूर के सेवन से कई रोगों में लाभ

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा शहद और नीम्बू (Honey and Lemon: Home Remedies for Cough in Kids in Hindi)

  • शहद बच्चों की सर्दी का देसी इलाज है। इसमें बहुत सारे गुण होते हैं। 1 चम्मच नींबू के रस में 2 से 3 चम्मच शहद मिलाएं। हर 2 घण्टे के बाद बच्चे को यह मिश्रण पिलाते रहें। यह खांसी की बहुत अच्छी दवा (khasi ki dawa) है।

  • इसके साथ ही एक गिलास, या एक कप गर्म दूध में 1 से 2 चम्मच शहद मिलाकर भी बच्चे को दे सकते हैं। दोनों ही उपाय रामबाण उपचार करते हैं। यह छोटा सा प्रयोग सर्दी और खाँसी दोनों में लाभदायक होता है।

और पढ़ेंः शहद के औषधीय गुण

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा नींबू (Lemon: Home Remedy for Cough in Kids in Hindi)

बच्चों की खांसी के इलाज के लिए घरेलू उपाय के रूप में नींबू का उपयोग लाभ पहुंचाता है। विटामिन-सी से भरपूर होने के कारण नीम्बू शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में भी सहायक है। नीम्बू के रस में थोड़ा-सा शहद और बहुत सारा पानी मिला लें। अगर एक वर्ष से ऊपर के बच्चों को पिलाया जाये तो उससे छोटे बच्चों को सर्दी- खाँसी में बहुत आराम मिलता है।

और पढ़ेंः  नींबू के अनेक फायदे

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा लहसुन और शहद (Garlic and Honey: Home Remedies for Cough in Kids in Hindi)

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा लहसुन और शहद
बच्चों की खांसी के इलाज लहसुन और शहद

छोटे बच्चों की सर्दी होने पर एक लहसुन की छोटी कली को बारीक पीस लें। इसमें हल्का-सा शहद मिलाकर बच्चे को चटवायें (khasi ki dawa)। यह दिन में 2-3 बार करें। यह प्रयोग सुबह उठने के बाद, दोपहर तथा रात को सोने से पहले करें। खांसी की इस दवा से बहुत लाभ होता है।

और पढ़ेंः खाँसी में लाजवंती के फायदे

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा अदरक (Ginger: Home Remedy for Cough in Kids in Hindi)

 बच्चों की खांसी के घरेलू इलाज के लिए अदरक का इस्तेमाल भी किया जाता है। एक कप पानी में अदरक के टुकड़ों को डालकर उबालें। आधा पानी होने के बाद उबालकर छान लें। इसमें एक चम्मच शहद डालकर बच्चे को पिलाएँ। 

और पढ़ेंः अदरक के फायदे और नुकसान

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा तुलसी (Tulsi: Home Remedy for Cough in Kids in Hindi)

खांसी की दवा के रूप में तुलसी का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर बच्चे को पिलाएँ। इससे बच्चों की खांसी ठीक (khansi ka ilaj) होती है। यह बहुत कारगर उपाय है।

और पढ़ेंः तुलसी के अनेक फायदे

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा एलोवेरा (Aloe Vera: Home Remedies for Cough in Children’s in Hindi)

बच्चों की खांसी के इलाज की रामबाण दवा एलोवेरा
बच्चों की खांसी के इलाज की दवा एलोवेरा

बड़ों की खाँसी हो या बच्चे की खाँसी। सभी में एलोवेरा का रस और शहद का मिश्रण काफी असरदार का करता है। यह खांसी की बहुत लाभकारी दवा (khasi ki dawa) है।

और पढ़ें: एलोवेरा के फायदे और उपयोग

बच्चों की खांसी और बुखार के इलाज की रामबाण दवा सेब का सिरका (Apple Vinegar: Home Remedy for Cough and Fever in Kids in Hindi)

आप बच्चों की खांसी के इलाज के लिए सेब के सिरके से घरेलू उपाय कर सकते हैं। सेवा का सिरका खांसी की बहुत अच्छी दवा (khasi ki dawa) है। एक हिस्सा कच्चा, बिना छाना हुआ सेब का सिरका, और दो हिस्से ठण्डा पानी मिलाकर दो पट्टियाँ भिगोयें। इन्हें निचोड़कर एक को माथे पर और एक को पेट पर रखें। दस-दस मिनट के बाद पट्टियां बदलते रहें। इस प्रक्रिया को बुखार कम होने तक दोहरायें।

और पढ़ें: सेब के फायदे और उपयोग

बच्चों की खांसी के इलाज के लिए अन्य रामबाण दवा (Other Home Remedies for Cough and Cold in Children in Hindi)

  • बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय के रूप में आँवले के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाएँ।

  • गाजर के रस में पालक रस मिलाकर सेवन करेंं। इससे खून में लालिमा आती है, और अन्य दूषित पदार्थ प्रभावहीन (khasi ki dawa) हो जाते हैं।

  • बादाम-6, छोटी इलायची-3, छुआरा-2 लें। इन द्रव्यों को रात में मिट्टी के कुल्हड़ में भिगो दें। इसे पीस कर मिश्री और मक्खन के साथ चाटें।

और पढ़ें– खाँसी में जटामांसी के फायदे

बच्चों को खाँसी होने पर खान-पान (Children’s Diet in Cough and Cold Disease)

बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय के दौरान खान-पान ऐसा होना चाहिएः-

  • शिशु को पर्याप्त तरल पदार्थ दें।

  • अगर आपका शिशु छह माह से छोटा है, तो उसे पर्याप्त स्तनपान कराएं। इससे खाँसी ठीक (khansi ka ilaj) होगी। इससे शिशु को गले की खराश से भी राहत मिलेगी।

  • अगर शिशु की उम्र छह महीने से ज्यादा है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य पेय दें।

  • एक साल से अधिक उम्र के बच्चे को शहद दें।

  • बच्चे की उम्र एक और पाँच साल के बीच है, तो उसे रोजाना आधी छोटी चम्मच शहद दें।

  • यदि आपका बच्चा 6 से 11 साल की उम्र का है, तो उसे एक छोटी चम्मच शहद दें।

  • यह सुनिश्चित करें कि शहद के सेवन के बाद बच्चे अपने दाँत जरूर साफ कर लें।

और पढ़ें – खांसी में कचनार के फायदे

बच्चों को खाँसी होने पर जीवनशैली (Children’s Lifestyle in Cold and Cough Disease)

बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय के दौरान जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-

  • शिशु को भापयुक्त कमरे में रखें।

  • गद्दे का सिराहना ऊँचा उठा दें। कई बार खांसी की वजह से शिशु को रात भर नींद नहीं आती। गद्दे का सिराहना ऊँचा उठा देने से शिशु को सांस लेने में आसानी रहेगी। सिराहने की तरफ गद्दे के नीचे कुछ तौलिये या तकिया रख दें। इससे थोड़ी ढलान-सी बन जाएगी।

  • बच्चे को मौसम के अनुसार कपड़े पहनाएँ। उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएँ। बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में अपना तापमान नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। इसलिए बच्चों को बड़ों की तुलना में एक लेयर एक्स्ट्रा कपड़े पहनने की आवश्यकता होती है। इससे बच्चे ठण्ड से बचे रहेंगे।

  • बच्चे को ऐसी टोपी पहना कर रखें, जिससे उसके कानों में ठण्डी हवा ना घुसे। ध्यान रखने वाली बात यह है कि बच्चे नहीं बता पाते हैं कि ठण्ड की वजह से उनके कानों में बहुत दर्द होता है।

  • बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिये अपना और बच्चों का हाथ साफ रखें।

  • बच्चे को कुछ खिलाने से पहले हैण्ड वॉश करें।

और पढ़ें – खांसी में देवदार के फायदे

बच्चे को खाँसी होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करें ? (When to Contact Doctor in Children’s Cough and Cold Disease)

यदि बच्चों की खांसी के लिए ऊपर दी गई दवाओं (khasi ki dawai) से आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिएः-

  • आपके शिशु की खाँसी दो हफ्ते से ज्यादा रहे।

  • शिशु की खाँसी में हरा, पीला, भूरा या खून की धब्बे वाला श्लेम (बलगम) आए।

  • आपका शिशु बहुत तेजी से या छोटी-छोटी सांसे ले रहा है, और उसका सांस भी फूल रहा है।

  • आपके शिशु की अत्यन्त तेज, सूखी खाँसी हो रहा हो, या खाँसते समय सांस लेने के प्रयास में उच्च ध्वनि निकलती हो।

  • शिशु का वजन घट रहा हो, और भूख कम हो गई हो।

  • होठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ चुका है।

ऐसी स्थिति में बिना देर किए डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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