Trailer: vishal bhardwaj film patakha is based on charan singh pathik story

'पटाखा' का ट्रेलर देखकर अनुराग कश्यप बोले 'ये क्या बवाल बनाया है'..जानें और कई रोचक किस्से

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इस फिल्म की शूटिंग भी राजस्थान के माउंट आबू के कई इलाकों में हुई है.

हिन्दी सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्मों की बात करें तो ‘तीसरी कसम’, ‘गाइड’ और ‘देवदास’ को नि:संदेह उनमें शामिल किया जाएगा. ये तीनों फिल्में देश के महान कथाकारों की रचनाओं पर आधारित हैं. जाने माने फिल्मकार विशाल भारद्वाज अपनी नयी फिल्म ‘पटाखा’ के जरिए इस श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ने जा रहे हैं. विशाल भारद्वाज की यह फिल्म ‘पटाखा’ राजस्थान के कहानीकार चरण सिंह पथिक की कहानी ‘दो बहनें’ पर आधारित है. फिल्म की शूटिंग भी राजस्थान के माउंट आबू के इलाकों में हुई और पथिक इसे हिंदी कहानीकारों के लिए अच्छा संकेत मानते हैं.

पेशे से अध्यापक पथिक राजस्थान के करौली जिले के रौंसी गांव में रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कहानी ‘दो बहनें’ 2012 में ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ में छपी. विशाल के एक सहयोगी ने इसके बारे में उन्हें बताया था. 2014 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पथिक की मुलाकात विशाल भारद्वाज से हुई तो उन्हें छूटते ही इस पर फिल्म बनाने की पेशकश की. इसके बाद लगभग चार साल गुजर गए. फिर अचानक विशाल ने उन्हें फोन किया और मुंबई बुलाया.

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पथिक के अनुसार, उन्होंने अपनी कहानी को 115-120 पन्नों का विस्तार दिया जिस पर विशाल ने स्क्रिप्ट लिखी. यह कहानी दो बहनों की है जो हैं तो सगी लेकिन एक दूसरे की जान लेने पर उतारू हैं. विशाल भारद्वाज ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि इसके जरिए वे भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर हल्के फुल्के अंदाज में चुटकी लेना चाहते हैं. पहले इस फिल्म का नाम ‘छुरियां’ सोचा गया लेकिन कुछ दुविधा होने पर ‘पटाखा’ नाम रखा गया.

फिल्म का ट्रेलर इसी 15 अगस्त को जारी किया गया जिसे काफी सराहा जा रहा है. फिल्म अगले महीने पर्दे पर आनी है. पथिक ने बताया कि उनकी कहानी ‘कसाई’ पर गजेंद्र श्रोत्रीय फिल्म बना रहे हैं. इस फिल्म की शूटिंग भी पूरी हो चुकी है. ऐसे कई और प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है. हिंदी के एक तरह से कम चर्चित लेखकों की कहानियों पर मुख्यधारा की फिल्में बनाए जाने को पथिक सकारात्मक संकेत मानते हैं. उन्होंने कहा कि पहुंच के लिहाज से सिनेमाई माध्यम का कोई मुकाबला नहीं है जो किसी भी रचना को नया मुकाम दिला सकता है.

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई निर्देशक कहानी की मूल आत्मा को बरकरार रखते हुए उस पर फिल्म बनाता है तो यह साहित्य के लिए बहुत अच्छी बात है. कहानी पाठकों और सिनेमा दर्शकों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर है. किताब या कहानी पढ़ने वाले लोगों की तादाद के मुकाबले सिनेमा देखने वालों की तादाद कहीं ज्यादा होती है. सिनेमा के जरिए हमारी कलम की पहुंच बहुत बढ़ जाती है.’

पथिक ने कहा कि सिनेमा के जरिए साहित्य दूर तक पहुंच सकता है और पहले भी विजयदान देथा या रेणु के काम पर अच्छी फिल्में बनी हैं. वरना तो विशुद्ध हिंदी के लेखकों के लिए बॉलीवुड में प्रवेश करना ही मुश्किल बात है.’ पथिक के ‘पीपल के फूल’ सहित कई कहानी संग्रह आ चुके हैं. उनकी एक कहानी ‘बक्खड़’ काफी चर्चा में रही.

कथा रचनाओं पर आधारित फिल्मों की बात करें तो राज कपूर और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म ‘तीसरी कसम’ फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘मारे गये गुलफाम’ पर आधारित थी. देवानंद और वहीदा रहमान के अभिनय से सजी कालजयी फिल्म ‘गाइड’ आर के नारायण के मशहूर उपन्यास ‘द गाइड’ पर आधारित थी. हालांकि फिल्म का आखिरी हिस्सा किताब से अलग है. इसी तरह तकरीबन पिछले छह दशक में कई बार रूपहले पर्दे पर उतारी गई फिल्म ‘देवदास’ शरतचंद चट्टोपध्याय के मशहूर उपन्यास ‘देवदास’ पर आधारित है.

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Trailer: vishal bhardwaj film patakha is based on charan singh pathik story Trailer: vishal bhardwaj film patakha is based on charan singh pathik story Reviewed by Comnetin on रविवार, अगस्त 19, 2018 Rating: 5
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