शिरीष (सिरस) फूल के फायदे व नुकसान - Shirisha Tree Benfits in Hindi
शिरीष या सिरस पेड़ के अनेक फायदे है।जानिए किन रोगों में होता है शिरीष के फूल व सिरस के पेड़ का उपयोग और जानिए सरस के बीज के फायदे व नुकसान।
शिरीष के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Lebbeck Tree in Hindi)
शिरीष (सिरस) फूल के फायदे व नुकसान |
शिरीष का परिचय ( Introduction of Shireesh)
शिरीष (shirisha tree) क्या है और शिरीष का इस्तेमाल किस काम में किया जाता है? शिरीष एक बहुत ही उत्तम औषधि है और शिरीष के फायदे से रोगों का इलाज किया जाता है।जोड़ों के दर्द, पेट के कीड़े, वात-पित्त-कफ दोष के इलाज में शिरीष से लाभ (shirisha tree benefits) मिलता है।
सफेद शिरीष (Shireesh) की छाल से खून के बहने को रोका जा सकता है। शिरीष आंख, कान, सिर दर्द से जुड़े रोगों में भी शिरीष के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि शिरीष से और क्या-क्या लाभ मिलता है।
शिरीष क्या है? (What is Lebbeck Tree in Hindi?)
शिरीष का पेड़ (shirish tree) मध्यम आकार का घना छायादार पेड़ है। शिरीष के फूल, छाल, बीज, जड़, पत्ते आदि का उपयोग औषधि के लिए किया जाता है। शिरीष का वृक्ष बहुत तेजी से बड़ा होता है। इसके पत्ते पतझड़ में गिर जाते हैं। इसके कुछ पेड़ छोटे, तो कुछ काफी बड़े होते हैं। शिरीष की प्रमुख विशेषता है कि इसकी शाखाएं बहुत ही सहजता से विकसित होती हैं और फल-फूल (shirish ke phool) भी जल्द ही लगाने लगते हैं। शिरीष की कई प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन मुख्य रूप से तीन पजातियों का ही इस्तेमाल होता है, जो ये हैंः-
लाल शिरीष
काला शिरीष
सफेद शिरीष
इसके अलावा भी शिरीष (Shireesh) की अन्य प्राजतियां भी होती हैं जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता हैः-
Albizia lebbeck (Linn.) Benth –
यह पेड़ 16 से 20 मीटर तक ऊंचा होता है। यह वृक्ष बहुत ही घना होता है। शिरीष के फूल (shirish ke phool) सफेद व पीला रंग के और काफी सुंगधित होता है। इसका फल 10 से 30 सेंटीमीटर लंबा, 2 से 4 या 5 सेंटमीटर तक चौड़ा होता है। यह फल नुकीला और पतला होता है। कच्ची अवस्था में यह फल हरा रंग का और पकने पर भूरा रंग का हो जाता है। यह फल चिकना और चमकीला होता है।
Albizia amara (Roxb.) Boivin (श्यामल शिरीष) –
श्यामले रंग का शिरीष का पेड़ (shirisha tree) लगभग 15 मीटर ऊंचा होता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल पीले-भूरे रंग के होते हैं। ये फल सीधे और चपटे होते हैं। इनमें बीजों की संख्या 6 से 12 तक होती है।
Albizia julibrissin Durazz. (शैल शिरीष) –
यह पेड़ (siris tree) लगभग 12 मीटर ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां थोड़ी छोटी होती हैं। इसके फूल हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इसका फल छोटा और चपटा होता है। चिकित्सा के लिए इसकी छाल का प्रयोग किया जाता है।
Albizzia procera (Roxb.) Benth. (श्वेत शिरीष) –
शिरीष का यह पेड़ लगभग 30 मीटर तक ऊंचा होता है। इसके पत्ते पिच्छाकार और हरे रंग के होते हैं। शिरीष के फूल (shirish ke phool) सफेद व पीले रंग के होते हैं। इसके फल नारंगी-भूरे रंग के होते हैं। इसमें बीजों की संख्या 10 से 12 के बीच होते हैं।
यहां शीरिष से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (shirisha in hindi) में लिखा गया है ताकि आप शीरिष से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में शिरीष के नाम (Name of Lebbeck Tree in Different Languages)
शिरीष माइमोसेसी (Mimosaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐल्बिजिया लैबैक (Albizia lebbeck (Linn.) Benth) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Syn-Acacia lebbek (Linn.) Willd, Mimosa lebbeck Linn आदि नाम से भी जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं:-
Lebbeck Tree in –
- Hindi – सिरस, सिरिस; उड़िया-बोडोसिरिसी (Bodosirisi), सिरीसी (Sirisi)
- English (albizia amara) – Lebbeck tree (लैबैक ट्री), East Indian walnut (ईस्ट इण्डियन वालनट)
- Sanskrit – शिरीष, मण्डिल, शुकपुष्प, शुकतरु, मृदुपुष्प, विषहन्ता, शुकप्रिय
- Urdu – दारश (Darash)
- Gujarati – गुजराती-सरसडो (Sarsado), काकीयो सरस (Kakiyo saras)
- Telugu – दिरसन (Dirsan), कालिन्दी (Kalindi)
- Tamil – वागै (Vagei), पांडील (Pandil);
- Bengali – बंगाली-शिरीष (Sirisha)
- Nepali – नेपाली-शिरिख (Shirikh), कालो सिरिस (Kalo siris);
- Kannada – बागेमारा (Bagemara)
- Marathi – शिरस (Shiras), चिचोला (Chichola);
- Malayalam – कट्टुवक (Kattuvaka), चेलिंगे (Chelinge)
- Konkani – गरसो (Garso)
- Arabic – सुल्तानुलसजर (Sultanaulasjar)
- Persian – दरख्ते जखरिया (Darakhte jakheria)
शिरीष के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Lebbeck Tree in Hindi)
शिरीष के इस्तेमाल का तरीका, मात्रा की जानकारी यहां दी जा रही हैः-
माइग्रेन में शिरीष के फायदे (Uses of Shireesh in Fighting with Migraine in Hindi)
माइग्रेन में शिरीष के फायदे |
माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए शिरीष रामवाण की तरह काम करता है। इस रोग के मरीज शिरीष की जड़ और फल के रस के 1 से 2 बूंद की मात्रा में नाक में डालें। इसेसे दर्द कम होने लगता है।
आंखों की बीमारी में शिरीष के फायदे (Benefits of Shireesh to Cure Eye Disease in Hindi)
- शिरीष के पत्तों के रस को काजल की तरह लगाने से आंखों से संबंधी परेशानियों में जल्द ही राहत मिलती है।
- शिरीष के पत्तों का काढ़ा पीने, और इसके रस को आँखों पर लगाने से से रतौंधी में बहुत लाभ होता है। इसके लिए शिरीष के पत्तों के रस में कपड़ा भिगोकर सुखा लें। कपडे को तीन बार भिगोएं और सुखाएं। इस कपड़े की बत्ती बनाकर चमेली के तेल में जला लें। इसे काजल बना लें। इस काजल के प्रयोग से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- इसके अलावा, शिरीष के पत्तों को आंख में लगाने से आंखों की सूजन (Conjunctivitis) में लाभ होता है।
कान के दर्द में शिरीष के फायदे (Shireesh Uses in Ear Pain Treatment in Hindi)
शिरीष के पत्ते और आम के पत्तों के रस को मिला लें। इसे गुनगुना करके 1 से 2 बूंद कान में डालें। इससे कानों के के दर्द दूर हो जाते हैं।
दांतों के रोग में शिरीष से लाभ (Shireesh Benefits to Cure Dental Disease in Hindi)
- शिरीष की जड़ से काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला बनाने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
- इसकी जड़ के चूर्ण से मंजन करने से भी यह फायदा मिलता है।
- इस काढ़ा से मंजन करने से दांतों में मजबूती भी आती हैं।
- शिरीष के गोंद और काली मिर्च को पीसकर मंजन करने से भी दांतों के दर्द दूर होते हैं।
खांसी की बीमारी में शिरीष से लाभ (Uses of Shireesh to Get Relief from Cough in Hindi)
खांसी की बीमारी में शिरीष से लाभ |
पीले शिरीष के पत्तों को घी में भून लें। इसे दिन में तीन बार 1-1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी मिटती है।
सांसों के रोग में शिरीष से लाभ (Benefits of Shireesh to Cure Respiratory Problems in Hindi)
- अगर कफ और पित्त दोष के असंतुलन के कारण सांसों से जुड़े रोग हो तो शिरीष के पेड़ (shirish tree) से लाभ मिलता है। शिरीष के पेड़ से फूल तोड़ लें। फूल के 5 मिलीलीटर रस में 500 मिलीग्राम पिप्पली चूर्ण और शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
- शिरीष, केला, कुन्द के फूल और पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर रख लें। चावल को धोलें। धोने के बाद जो पानी बचा है उसके साथ चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में पिएं। इससे सांसों से संबधी परेशानियां जल्द ही दूर हो जाती हैं।
शिरीष के औषधीय गुण से पेचिश का इलाज (Shireesh Uses to Stop Dysentery in Hindi)
शिरीष के बीज के चूर्ण को दिन में तीन बार देने से पेचिश में लाभ होता है। बेहतर परिणा के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
पेट के रोग में शिरीष के सेवन से लाभ (Shireesh Benefits in Abdominal Bugs Treatment in Hindi)
- शिरीष के 5 मिलीलीटर रस में इतनी ही मात्रा में कट्भी का रस मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण में शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की कीड़े खत्तम होते हैं।
- शिरीष की छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से जलोदर रोग में लाभ (Shireesh benefits) होता है।
शिरीष के सेवन से बवासीर का इलाज (Uses of Shireesh in Piles Treatment in Hindi)
शिरीष के सेवन से बवासीर का इलाज |
- 6 ग्राम शिरीष के बीज और 3 ग्राम कलिहारी की जड़ को पानी के साथ पीसकर लेप करने से बवासीर में लाभ होता है। इसके तेल का लेप करने से भी बवासीर में लाभ होता है।
- शिरीष के बीज, कूठ, आक का दूध, पीपल को समान मात्रा में लें। सबको पीस लें। यह लेप बवासीर को तुरंत ठीक करता है।
- कलिहारी की जड़, शिरीष के बीज, दंती मूल और चीता (चित्रक) को समान भाग में लेकर पीस लें। यह लेप बवासीर में अत्यन्त लाभप्रद है।
- मुर्गे की बीट, गुंजा (चौंटली), हल्दी, पीपल और शिरीष के बीज को समान भाग में लें। इसे पानी के साथ पीसकर लेप बनाएं। यह लेप बवासीर को जल्द दूर (shirisha tree benefits) करता है।
शिरीष के औषधीय गुण से सिफलिस का उपचार (Benefits of Shireesh to Treat Syphilis in Hindi)
सिफलिस से पीड़ित व्यक्ति को शिरीष के पत्तों की राख में घी या तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
शिरीष के सेवन से मूत्र रोग (पेशाब में दर्द और जलन) का इलाज (Shireesh Uses to Cure Urinal Disease in Hindi)
- शिरीष के 10 ग्राम पत्तों को पानी के साथ पीसकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेशाब में दर्द और जलन की समस्या में लाभ होता है।
- शिरीष के बीज (saras ke beej) से तेल निकाल लें। तेल को 5 से 10 बूंद को 100 मिलीलीटर की मात्रा में लस्सी में डालकर पिएं। इससे पेशाब के दौरान होने वाले दर्द और जलन में लाभ होता है।
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शिरीष के औषधीय गुण से अंडकोष के सूजन का इलाज (Shireesh Benefits to Treat Testicle Swelling in Hindi)
- अंडकोषों की सूजन में शिरीष की छाल को पीस लें। इसे अंडकोषों पर लेप करें। इससे सूजन तुरंत ठीक हो जाती है।
- पित्त असंतुलन के कारण आई किसी भी तरह की सूजन में शिरीष के फूल (shirish ke phool) को पीस लें। इसे सूजन वाले स्थान पर लगाने से पित्त नियंत्रित होने लगता है। सूजन दूर होती है।
चर्म रोग में शिरीष के फायदे ( Shireesh Beneficial in Skin Disease Treatment in Hindi)
चर्म रोग में शिरीष के फायदे |
- शिरीष का तेल लगाने से कुष्ठ आदि चर्म रोगों में लाभ होता है।
- इससे घाव व फोड़े-फुंसी तुरंत ठीक हो जाते हैं।
- सफेद शिरीष की छाल के ठंडे गोंद को घाव, खुजली और दूसरे चर्म रोगों पर लोशन की तरह लगाने से लाभ होता है।
- शिरीष के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसियों और सूजन के ऊपर लगाने से लाभ होता है।
- शिरीष, मुलेठी, कदम्ब, चंदन, इलायची, जटामांसी, हल्दी, दारुहल्दी, कूठ तथा सुंगधबाला को पीस लें। इनमें घी मिलाकर लेप करने से खुजली, कुष्ठ, आदि रोग तुरंत ठीक हो जाता है।
- शिरीष के पेड़ (shirisha tree) की छाल लें। इसका महीन चूर्ण बना लें। इसे सौ बार भिगोए हुए घी (शातधौत घृत) में मिलाकर लेप करने से दाद-खाज इत्यादि चर्म रोगों में लाभ होता है।
- कफ असंतुलन के कारण होने वाली दाद-खाज-खुजली में त्रिफला, मुलेठी, विदारीकंद और शिरीष के फूल (shirish ke phool) को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
- आरग्वध की पत्ती, श्लेष्मातक की छाल, शिरीष का फूल और मकोय का चूर्ण या फिर पेस्ट बना लें। इसे प्रभावित स्थान पर लेप करने से भी सभी प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
वीर्य विकार में शिरीष से लाभ (Uses of Shireesh in Sperm Related Disease in Hindi)
शिरीष के बीज के 2 ग्राम चूर्ण में 4 ग्राम शक्कर मिला लें। इसे रोजाना गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य विकार दूर (Shireesh benefits) होता है। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
शिरीष के गुण से ट्यूमर का इलाज (Shireesh Benefits to Treat Tumor in Hindi)
- किसी भी तरह के ट्यूमर और गांठ में सिरस के बीज को पीसकर लेप करें। इससे लाभ होता है।
- गांठ कैसी भी हो, शिरीष के पत्तों को पीसकर उस पर आधे-आधे घंटे बाद लेप करें। लेप को बदल कर बांधने से गांठ फूट जाता है।
- शिरीष तथा करंज को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर (shirisha tree benefits) जाता है।
शिरीष के गुण से अल्सर का इलाज (Benefits of Lebbeck Tree to Cure Ulcer in Hindi)
- अल्सर होने पर घावों से खून भी आने लगता है। ऐसे में शिरीष की छाल से बने काढ़े के प्रयोग से फायदा मिलता है। इस काढ़े से घाव को धोने से घाव भर जाता है।
- शिरीष के पत्तों के राख का लेप लगाने से भी घाव जल्द ही भर जाता है।
- शिरीष की छाल, रसांजन और हरड़ के चूर्ण को मिला लें। इसे घाव पर छिड़कने, या शहद मिलाकर घाव पर लगाने से तेज गति से लाभ होता है।
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शिरीष के गुण अपस्मार या मिर्गी रोग के इलाज में फायदेमंद (Shireesh Beneficial to Treat Epileptic in Hindi)
शिरीष के गुण अपस्मार या मिर्गी रोग के इलाज |
अपस्मार (मिर्गी रोग) में शिरस/शिरीष का प्रयोग आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है, क्योंकि मिर्गी के दौरों की प्रवृति को नियंत्रित करने में सहायता करता है।
आँख की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंद शिरीष (Benefit of Shireesh to Boost Eye Sight in Hindi)
शिरस/शिरीष का प्रयोग आँखों संबंधी रोगों को दूर कर आँख की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। नेत्र संबंधी विकारो में शिरस/शिरीष के बीज के पत्तों का उपयोग किया जाता है।
दांत के बीमारियों में शिरीष का इस्तेमाल फायदेमंद (Shireesh Beneficial in Dental Diseases in Hindi)
दन्त और मसूड़ों संबंधी रोगों में शिरस/शिरीष का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इसमें कषाय रस होता है जो कि दन्त और मसूड़ों से रक्त आने की समस्या में फायदेमंद होता है।
दस्त के इलाज में लाभकारी शिरीष (Shireesh Beneficial to Treat Diarrhoea in Hindi)
अतिसार(दस्त) में शिरस/शिरीष के सेवन आपको फायदा पंहुचा सकता है क्योंकि शिरस/शिरीष में आयुर्वेद के अनुसार कषाय रस होता है जो कि अतिसार की प्रवृति को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
फोड़ा-फूंसी को ठीक करने में लाभकारी शिरीष (Benefits of Shireesh to Treat Boil in Hindi)
फोड़ा-फूंसी को ठीक करने में लाभकारी शिरीष |
फोड़ा -फुंसी में शिरस/शिरीष का प्रयोग फ़ायदेमंद होता है, त्वचा के फोड़ा -फुंसी में आराम पाने के लिए शिरस/शिरीष के बीजों का तेल प्रयोग कर सकते है।
शिरीष के गुण से कुष्ठ रोग का इलाज (Lebbeck Tree Uses to Treat Leprosy in Hindi)
- शिरीष के 5 ग्राम पत्ते और 2 ग्राम काली मिर्च लें। इन दोनों को मिलाकर पीसकर रख लें। इस मिश्रित चूर्ण का 40 दिन तक सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है।
- शिरीष की छाल को पीसकर कुष्ठ रोग वाले अंग पर लेप करने से लाभ होता है।
फफोले की समस्या में शिरीष के फायदे (Uses of Lebbeck Tree to Get Relief from Blister in Hindi)
- शिरीष के पौधे (shirisha tree) की छाल, तगर, जटामांसी, हल्दी और कमल को समान मात्रा में लें। इसे ठंडे पानी में महीन पीसकर लेप करें। इससे हर तरह के फफोले (विस्फोट) नष्ट हो जाते हैं।
- शिरीष, गूलर तथा जामुन को पीसकर लेप करने से फफोले खत्म हो जाते हैं।
- शिरीष की जड़, मंजिष्ठा, चव्य, आंवला, मुलेठी और चमेली की पत्ती को बराबर मात्रा में पीस लें। इसमें शहद मिलाकर फफोले पर लेप करने से फफोले खत्म हो जाते हैं।
- इसके अलावा, शिरीष, खस, नागकेशर और हिंस्रा बराबर मात्रा में मिला लें। इसको पीसकर खुजली और फफोले पर लेप करने से तेज गति से लाभ होता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शिरीष का सेवन ( Shireesh Beneficial to Cure Body Weakness in Hindi)
- शिरीष के वृक्ष (siris tree) की छाल से बने चूर्ण की 1 से 3 ग्राम मात्रा को घी के साथ मिला लें। इसे रोज सुबह-शाम खिलाने से शारीरिक शक्ति में लगातार वृद्धि होती है।
- इसके प्रयोग से खून भी साफ होता है।
बेहोशी दूर करने में शिरीष का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Shireesh for Unconsciousness in Hindi)
बेहोशी दूर करने में शिरीष |
शिरीष के बीज और काली मिर्च को समान भाग में लें। इसे बकरी के मूत्र के साथ पीसकर आंखों में लगाने से बेहोशी की स्थिति में लाभ होता है। बेहोशी शीघ्र दूर होती है।
मैनिया रोग में शिरीष का औषधीय गुण लाभदायक (Shireesh Benefits in Fighting with Mania in Hindi)
- शिरीष के बीज, मुलेठी, हींग, लहसुन, सोंठ, वच और कूठ को समान भाग में लें। इन सबको बकरी के मूत्र में घोंटकर काजल की तरह लगााएं। इसको नाक में देने से और काजल की तरह लगाने से उन्माद (मैनिया) रोग में लाभ होता है।
- शिरीष के बीज और करंज के बीजों को पीस लें। इसे माथे में लेप करने से उन्माद, मिर्गी और आंखों के रोगों में लाभ होता है।
जहर (विष) उतारने में शिरीष का औषधीय गुण फायदेमंद (Shireesh Uses to Treat Poison Related Problems in Hindi)
- शिरीष के पेड़ की छाल, जड़ की छाल, बीज और फूलों से चूर्ण बना लें। 2 से 4 ग्राम चूर्ण की मात्रा को गोमूत्र के साथ दिन में 3 बार पिलाने से सब प्रकार के विष में लाभ होता है।
- शिरीष की जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज को गोमूत्र में पीसकर लेप बना लें। इससे लेप करें। इससे विष के कारण होने वाली जलन आदि प्रभाव खात्म होते हैं।
- इसके अलावा, शिरीष के फूल (shirish ke phool) को पीस लें। इसे विषैले जीवों द्वारा काटे गए स्थान पर लेप करने से लाभ होता है।
- मेढ़क का विष उतारने के लिए शिरीष के बीजों को थूहर के साथ दूध में पीस लें। इससे लेप करने से मेढ़क के काटने से चढ़ा विष उतर जाता है।
शिरीष के पौधे के उपयोगी भाग (Useful Parts of Lebbeck Tree)
शिरीष के पौधे के निम्नलिखित हिस्सों से दवा बनाया जाता हैः-
- छाल (siris tree)
- फूल (shirish ke phool)
- बीज (shirish ke beej)
- जड़ (shirish root)
- जड़ की छाल
- पत्ते (shirish leaves)
शिरीष का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Lebbeck Tree?)
आप शिरीष का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
चूर्ण : 3 से 6 ग्राम
रस : 10 से 20 मिलीलीटर
काढ़ा : 50 से 100 मिलीलीटर
शिरीष के नुकसान (Side Effects of Lebbeck Tree in Hindi)
बेहद गुणकारी होने के बावजूद शिरीष के पेड़ (shirisha tree) के प्रयोग के कुछ नुकसान भी होता है, जो ये हो सकते हैंः-
- इसका लगातार प्रयोग से ब्लड शुगर थोड़ा-सा बढ़ने की आशंका रहती है।
- इससे शुक्राणुओं के नष्ट होने की संभावना भी रहती है।
- इससे गर्भ गिर जाने की आशंका भी होती है।
यहां शीरिष से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (shirisha in hindi) में लिखा गया है ताकि आप शीरिष से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में शीरिष का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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