हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान - Harad ke Fayde
हरीतकी (हरड़) को औषधियों में सबसे गुणकारी जड़ी बूटी माना जाता है जानिए हरड़ के फायदे व नुकसान एवं कैसे करे हरीतकी चूर्ण का उपयोग, जानिए हरड़ के फायदे व नुकसान - Haritaki Churna Benefits in Hindi
हरीतकी (हरड़) के फायदे (Harad Benefits and Uses in Hindi)
हरीतकी (हरड़) के फायदे और नुकसान |
हरीतकी (Haritaki or Kadukka podi) त्रिफला के तीन फलों में एक होता है। आयुर्वेद में हरीतकी औषधि के लिए बहुत इस्तेमाल किया जाता है। हरीतकी न सिर्फ औषधि के लिए नहीं बल्कि सेहत और सौन्दर्य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। हरीतकी का फल,जड़ और छाल सबका उपयोग किया जाता है। चलिये हरीतकी के फायदों और गुणों ( Harad ke benefits) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हरीतकी क्या है? (What is Haritaki or Harad in Hindi?)
हरीतकी को हरड़ भी कहते हैं। निघण्टुओं में सात प्रकार की हरीतकी का वर्णन मिलता है। स्वरूप के आधार पर इसकी सात जातियाँ हैं-1. विजया, 2. रोहिणी, 3. पूतना, 4. अमृता, 5. अभया, 6. जीवन्ती तथा 7. चेतकी लेकिन वर्तमान में यह तीन प्रकार की ही मिलती है। जिसको लोग अवस्था भेद से एक ही वृक्ष के फल मानते हैं। वैसे तो हरीतकी सभी जगह मिल जाता है। शायद आपको पता नहीं कि हरड़ बहुत तरह के गुणों वाला औषधीय वृक्ष होता है। हरड़ 24-30 मी तक ऊँचा, मध्यम आकार का, शाखाओं वाला पेड़ होता है। इसके पत्ते सरल, चमकदार, अण्डाकार और भाला के आकार होते हैं। इसके फल अण्डाकार अथवा गोलाकार, 1.8-3.0 सेमी व्यास या डाइमीटर के और पके हुए अवस्था में पीले से नारंगी-भूरे रंग के होते हैं। फलों के पीछले भाग पर पांच रेखाएं पाई जाती हैं।
जो फल कच्ची अवस्था में गुठली पड़ने से पहले तोड़ लिए जाते हैं, वही छोटी हरड़ के नाम से जानी जाती है। इनका रंग स्याह पीला होता है। जो फल आधे पके अवस्था में तोड़ लिए जाते हैं, उनका रंग पीला होता है। पूरे पके अवस्था में इसके फल को बड़ी हरड़ कहते हैं। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। फरवरी-मार्च में पत्तियां झड़ जाती हैं। अप्रैल-मई में नए पल्लवों के साथ फूल लगते हैं तथा फल शीतकाल में लगते हैं। पक्व जनवरी से अप्रैल महीने में पके फल मिलते हैं। इसके बीज कठोर, पीले रंग के, बड़े आकार के, हड्डियों के समान और कोणीय आकार के होते हैं।
हरीतकी मधुर और कड़वा होने से पित्त; कड़वा व कषाय होने से कफ तथा अम्ल, मधुर होने से वात दोष को नियंत्रित करने में मदद करती है। इस प्रकार देखा जाय तो यह तीनों दोषो को कम करने में सहायता करती है। यह रूखी, गर्म, भूख बढ़ानेवाली, बुद्धि को बढ़ाने वाली, नेत्रों के लिए लाभकारी, आयु बढ़ाने वाली, शरीर को बल देने वाली तथा वात दोष को हरने वाली है।
यह कफ, मधुमेह, बवासीर (अर्श), कुष्ठ, सूजन, पेट का रोग, कृमिरोग, स्वरभंग, ग्रहणी(Irritable bowel syndrome), विबंध (कब्ज़), आध्मान (Flatulance), व्रण(अल्सर या घाव), थकान, हिचकी, गले और हृदय के रोग, कामला (पीलिया), शूल (दर्द), प्लीहा व यकृत् के रोग, पथरी, मूत्रकृच्छ्र और मूत्रघातादि (मूत्र संबंधी) रोगों को दूर करने में मदद करती है।
हरड़ का फल अल्सर के लिए हितकारी और प्रकृति से गर्म होती है। हरीतकी का फल सूजन, कुष्ठ, अम्ल या एसिडिटी तथा आंखों के लिए लाभकारी होती है। हरड़ में पांचों रस हैं लेकिन तब भी सेहत के लिए गुणकारी होती है। इसलिए एक ही हरीतकी को विभिन्न तरह के रोगों के लिए प्रयोग किया जाता है।
अन्य भाषाओं में हरीतकी के नाम (Name of Haritaki in Different Languages)
अन्य भाषाओं में हरीतकी के नाम |
हरीतकी का वानस्पतिक नाम : Terminalia chebula (Gaertn.) Retz. (टर्मिनेलिया चेब्युला)
हरीतकी Combretaceae(कॉम्ब्रीटेसी) कुल की होती है।
हरड़ को अंग्रेज़ी में Chebulic myrobalan (चेबुलिक मॉयरोबालान) कहते हैं, लेकिन यह अन्य भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।
Haritaki in-
- Sanskrit – अभया, अव्यथा, पथ्या, कायस्था, पूतना, हरीतकी, हैमवती, चेतकी, श्रेयसी, शिवा;
- Hindi – हरड़, हर्रे, हड़, हरर;
- Urdu – हेजरड़ (Haejarad);
- Oriya – करंथा (Karedha), हरेधा (Harida);
- Assamese – हिलिखा (Hilikha);
- Konkani – ओरडो (Ordo);
- Kannada – अनिलेकई (Anilaykayi), करक्काई (Karakkai);
- Gujrati – हरीतकी (Haritaki), हिमजा (Himaja);
- Tamil – कडुक्कै (Kadukkay);
- Telugu – करक्काय (Karakkaya), हरितकि (Haritaki);
- Bengali – होरीतकी (Horitaki), नर्रा (Narra);
- Nepali – हर्रो (Harra), बर्रो (Barro);
- Panjabi – हर (Har), हरीतकी (Haritaki);
- Marathi – हिरड (Hirad), हरीतकी (Haritaki);
- Malayalam – दिव्या (Divya), पुटानम (Putanam)
- English – ब्लैक मॉयरोबालान (Black myrobalan);
- Arbi – हलीलजा (Halilaja), अस्फर (Asfar);
- Persian – हलील (Halil), हलील अह जर्दा (Halil ahe zarda)
हरीतकी के फायदे (Harad Benefits and Uses in Hindi)
आयुर्वेद में हरड़ या हरीतकी (harad ke fayde) का बहुत महत्व है। छोटे से हरड़ में सेहत के बहुत फायदे बंद होते हैं। चलिये जानते हैं कि हरीतकी या हरड़ कितने रोगों में फायदेमंद है।
हरड़ का सेवन करने का तरीका हर रोगों के लिए अलग-अलग होता है। हरड़ को उबालकर खाने से दस्त होना बंद होता है तो भूनकर खाने से त्रिदोषहर, भोजन के साथ हरड़ खाने से बुद्धि बढ़ती है, भोजन के बाद सेवन करने से खाने से जो पेट संबंधी समस्याएं होती है उससे राहत मिलती है।
श्रेष्ठ हरीतकी के लक्षण-जो हरीतकी नई, मधुर, पुष्ट, गोल, भारी, जल में डूबने वाली लाल रंग की, तोड़ने में गुड़ के समान टूटने वाली, थोड़ी-सी कड़वी, अधिक रस वाली, मोटी छाल वाली, स्वयं पक कर गिरने वाली तथा लगभग 22-25 ग्राम (2 कर्ष) वजन की होती है, वह हरीतकी ही श्रेष्ठ मानी जाती है।
अप्रशस्त हरीतकी-जो हरीतकी कीड़ों के द्वारा खाई हुई, आग से जली हुई, पानी या कीचड़ में पड़ी हुई, ऊसर भूमि या बंजर भूमि में पैदा होती है। यह हरीतकी फटी हुई होती है। अप्रशस्त हरीतकी का सेवन या इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए।
सिरदर्द में फायदेमंद हरीतकी (Kadukkai Benefits to Get Relief from Headache in Hindi)
सिरदर्द में फायदेमंद हरीतकी |
आजकल के तनावभरी जिंदगी में सिरदर्द आम बीमारी हो गई है। हरड़ की गुठली को पानी के साथ पीस कर सिर में लेप लगाने से आधा सिर दर्द से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद (haritaki ke fayde) होता है।
रूसी को करे कम हरीतकी (Harad Benefits for Dandruff in Hindi)
शायद आपको पता नहीं कि रूसी होने के कारण भी बाल झड़ते हैं। हरड़ को इस तरह से प्रयोग करने पर रूसी आना रोक सकते हैं। आम बीज चूर्ण और छोटी हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को समान मात्रा में लेकर दूध में पीसकर सिर पर लगाने से रूसी कम हो जाती है।
नेत्र विकार या आँख के बीमारी में हरीतकी के फायदे (Harad Beneficial in Eye Disease in Hindi)
अक्सर दिन भर कंप्यूटर पर काम करने से आँखों में जलन और दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। रोज हरड़ का इस तरह से इस्तेमाल करने पर आँखों को आराम मिलता है। हरड़ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पानी को छानकर आँखें धोने से आंखों को शीतलता मिलती है तथा आँख संबंधी बीमारियों से राहत (harad ke fayde) मिलती है।
मोतियाबिंद में हरीतकी के फायदे (Kadukka Podi Benefits for Cataracts in Hindi)
उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद की समस्या से सब परेशान होते हैं। हरड़ का इस्तेमाल (haritaki benefits in hindi) इस तरह से करने पर मोतियाबिंद के परेशानी से आराम मिलता है।
- हरड़ की मींगी को पानी में 3 पहर तक भिगोकर, घिसकर लगाने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
- हरड़ की छाल को पीसकर लगाने से आँखों से पानी का बहना बन्द होता है।
- सभी प्रकार के रोगों में हरीतकी को घी में भूनकर आँखों के चारों ओर बाहर के भाग में लेप लगाया जाता है।
- भोजन करने के पहले प्रतिदिन 3 ग्राम हरीतकी चूर्ण तथा 3 ग्राम मुनक्का पेस्ट को मिश्री, चीनी या मधु मिलाकर खाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
प्रतिश्याय या जुकाम से दिलाये राहत हरीतकी (Harad Benefits for Cold in Hindi)
प्रतिश्याय या जुकाम से दिलाये राहत हरीतकी |
मौसम बदला की नहीं जुकाम से सबको परेशानी होने लगती है। हरीतकी जुकाम में बहुत लाभकारी (harad ke fayde) होती है। प्रतिश्याय या जुकाम में हरीतकी का प्रयोग करने से सिरदर्द की परेशानी से आराम मिलता है।
मुँह की बीमारी में हरीतकी के फायदे ( Harad Benefits for Oral Disease in Hindi)
मुँह और गले के रोगों में हरीतकी बहुत ही फायदेमंद होती है। हरीतकी का काढ़ा या चूर्ण मुँह के बीमारी में आराम मिलता है।
- 20-40 मिली हरीतकी के काढ़े में 3 से 12 मिली मधु मिलाकर पिलाने से गले के दर्द में आराम (haritaki benefits in hindi) मिलता है।
- हरीतकी के चूर्ण का मंजन करने से दांत साफ और निरोग हो जाते हैं।
- 10 ग्राम हरड़ को आधा ली पानी में उबालकर चतुर्थांश काढ़े में थोड़ी सी फिटकरी घोलकर गरारा करने से जल्दी ही मुँह और गले से होनी वाली ब्लीडिंग बंद हो जाती है।
कफ या खांसी से राहत दिलाये हरीतकी (Harad Benefits for Cough in Hindi)
अगर लंबे समय से कफ से परेशान हैं तो हरीतकी का इस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं-
- कफ को निकालने में हरड़ का चूर्ण बहुत अच्छा है। इस कारण हरड़ चूर्ण को 2-5 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करना चाहिए।
- हरड़, अडूसा की पत्ती, मुनक्का, छोटी इलायची, इन सबसे बने 10-30 मिली काढ़े में मधु और चीनी मिलाकर दिन में तीन बार पीने से सांस फूलना, खांसी और रक्तपित्त रोग (नाक और कान से खून बहना) में लाभ होता है।
- हरड़ और सोंठ को समान भाग लेकर चूर्ण बनाएं, इसे गुनगुने जल के साथ 2-5 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम सेवन करने से खांसी, सांस फूलना और कामला (पीलिया) में लाभ होता है।
हजम शक्ति बढ़ाने में हरीतकी के फायदे (Kadukka podi Benefits in Digestion in Hindi)
अगर खाना खाने के बाद हजम नहीं हो रहा है या एसिडिटी आदि की समस्या हो रही है तो हरीतकी का सेवन इस तरह से करने पर लाभ (harad ke fayde) मिलती है। 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में बराबर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। हरीतकी चूर्ण के फायदे मिलने के लिए सेवन की मात्रा सही होनी चाहिए।
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छर्दी या उल्टी में फायदेमंद हरीतकी (Kadukka podi Beneficial in Vomiting in Hindi)
छर्दी या उल्टी में फायदेमंद हरीतकी |
अगर अनियमित खान-पान के कारण उल्टी जैसा महसूस हो रहा है तो हरीतकी का ऐसे इस्तेमाल कर सकते हैं। 2-4 ग्राम हरड़ के चूर्ण को मधु में मिलाकर सेवन करने से दोष नष्ट होते हैं और उल्टी बंद होती है। हरड़ के नुकसान से बचने के लिए सही तरह से इसका सेवन करना अनिवार्य होता है।
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भूख बढ़ाने में करे मदद हरीतकी (Haritaki Benefits to Improve Appetite in Hindi)
कभी-कभी लंबे बीमारी के कारण खाने की इच्छा कम हो जाती है। इस अवस्था में हरीतकी का सेवन करने से लाभ मिलता है।
- 2 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम सोंठ को गुड़ अथवा 250 मिग्रा सेंधानमक के साथ मिलाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है।
- हरड़ का मुरब्बा खाने की इच्छा बढ़ाती (haritaki churna ke fayde) है।
- हरड़, सोंठ तथा सेंधानमक के 2-5 ग्राम चूर्ण को ठंडे जल के साथ सेवन करें, परन्तु दोपहर और शाम भोजन थोड़ी मात्रा में खाएं।
- हरड़, पिप्पली तथा चित्रक को समान मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें। 1 से 2 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने लगती है।
अतिसार या दस्त रोके हरीतकी (Kadukkai Benefits for Diarrhoea in Hindi)
जिस रोगी को अतिसार हो अथवा थोड़ा-थोड़ा, रुक-रुक कर दर्द के साथ मल निकलता हो उसे बड़ी हरड़ तथा पिप्पली के 2-5 ग्राम चूर्ण को सुहाते (गुनगुने) गर्म जल के साथ सेवन करने से लाभ (haritaki churna ke fayde) मिलता है।
बद्धकोष्ठता या कब्ज से दिलाये राहत हरीतकी (Benefits of Kadukka podi to Get Relief from Constipation in Hindi)
अगर लंबे समय से कब्ज से परेशान हैं तो हरीतकी का सेवन इस तरह से करने पर राहत (haritaki ke fayde) मिलती है।
- हरड़, सनाय और गुलाब के गुलकन्द की गोलियां बनाकर खाने से कब्ज की परेशानी कम होती है।
- हरड़ और साढे तीन ग्राम दालचीनी या लौंग को 100 मिली जल में 10 मिनट तक उबालकर, छानकर सुबह पिलाने से विरेचन (पेट साफ) हो जाता है।
अर्श या बवासीर में हरीतकी के फायदे (Chitrak Haritaki Benefits in Hemorrhoid in Hindi)
अर्श या बवासीर में हरीतकी के फायदे |
आजकल के अनियमित जीवनशैली के कारण बवासीर की समस्या होने लगी है। बवासीर के दर्द से राहत पाने के लिए हरीतकी (Kadukka podi) का काढ़ा बनाकर पाइल्स के मस्सों को धोने से लाभ होता है।
कामला या पीलिया में हरीतकी के फायदे (Kadukkai Beneficial in Jaundice in Hindi)
आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में सबसे ज्यादा खान-पान पर ही असर पड़ता है। पीलिया में हरीतकी उपचारस्वरुप काम करती है।लौह भस्म, हरड़ तथा हल्दी इनको समान मात्रा में मिलाकर 500 मिग्रा से 1 ग्राम मात्रा में लेकर घी एवं मधु से अथवा केवल 1 ग्राम हरड़ को गुड़ और मधु के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से कामला में लाभ होता है।
मूत्रकृच्छ्र या पेशाब संबंधी बीमारी में फायदेमंद हरीतकी (Haritaki benefits for Dysuria in Hindi)
मूत्र संबंधी बहुत तरह की समस्याएं होती है जैसी देर से पेशाब आना या रूक-रूक कर आना, कम मात्रा में पेशाब होना, पेशाब करते वक्त जलन या दर्द होना आदि। इन सब समस्याओं में हरीतकी बहुत काम आती है। हरीतकी, गोखरू, धान्यक, यवासा तथा पाषाण-भेद को समान मात्रा में लेकर 500 मिली जल में उबालें, 250 मिली रहने पर उतार लें। अब इस काढ़े में मधु मिलाकर सुबह, दोपहर तथा शाम 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से मूत्र त्याग में कठिनाई, मूत्र मार्ग की जलन आदि रोगों में लाभ होता है।
प्रमेह या डायबिटीज में फायदेमंद हरीतकी (Kadukka podi to Control Diabetes in Hindi)
आजकल के तनाव भरी जिंदगी के सौगात में डायबिटीज मिल जाती है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए 2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को 1 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
अण्डकोषवृद्धि या हाइड्रोसील में हरीतकी के फायदे (Harad Benefits in Hydrocele in Hindi)
अण्डकोषवृद्धि या हाइड्रोसील में हरीतकी के फायदे |
हाइड्रोसील की परेशानी में हरीतकी बहुत गुणकारी होती है। 5 ग्राम हरड़ तथा 1 ग्राम बनाएं को 50 मिली एरंड तेल और 50 मिली गोमूत्र में पकायें।जब सिर्फ तेल शेष रह जाय तो छानकर, गुनगुने गर्म जल के साथ सुबह शाम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेने से हाइड्रोसील कम होने में मदद मिलती है।
वृषण शोथ या टेस्टीस में सूजन या वैरिकोसील को करें कम हरीतकी (Haritaki Benefits for Varicocele in Hindi)
टेस्टीस में सूजन होने पर त्रिफला के काढ़े का सेवन बहुत ही गुणकारी होता है। 10-20 मिली त्रिफला के काढ़े में 10 मिली गोमूत्र डालकर पीने से वात कफ से के कारण टेस्टीस में जो सूजन होता है उससे राहत मिलती है।
हरीतकी के फायदे श्लीपद रोग या हाथीपाँव में (Haritaki Benefits for Filariasis in Hindi)
हाथीपाँव के परेशानी से राहत पाने के लिए हरड़ का इस्तेमाल ऐसे करना चाहिए। 10 ग्राम हरड़ को 50 मिली एरंड के तेल में पकाकर 6 दिन पीने से हाथी पाँव रोग में लाभ होता है।
घाव को ठीक करने में करे मदद हरीतकी (Kadukkai Benefits in Wound in Hindi)
अगर घाव सूखने का नाम ही नहीं ले रहा है तो हरीतकी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। हरीतकी के काढ़े से घाव को धोने से घाव जल्दी भरता है।
व्रण या अल्सर में हरीतकी के फायदे (Kadukkai Benefits for Sore in Hindi)
व्रण या अल्सर में हरीतकी के फायदे |
अल्सर को घाव को सूखाने के लिए हरीतकी को इन चीजों के साथ एक साथ मिलाकर लेप बना लें और इस्तेमाल करें। हरड़ की 1-2 ग्राम भस्म को 5-10 ग्राम मक्खन में मिलाकर व्रण (घाव) पर लेप करने से शीघ्र घाव सूखा जाता है।
कुष्ठ रोग में हरीतकी के फायदे ( Haritaki Benefits for Leprosy in Hindi)
कुष्ठ रोग के परेशानी को कम करने के लिए हरीतकी का इस्तेमाल ऐसे करना चाहिए।
- 20-50 मिली गोमूत्र को 3-6 ग्राम हरड़ चूर्ण के साथ सुबह शाम सेवन करने से फायदा मिलता है।
- हरड़, गुड़, तिल तैल, मिर्च, सोंठ तथा पीपल को समान मात्रा में पीसकर 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर एक महीने तक सुबह शाम सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
मूर्च्छा या बेहोशी में फायदेमंद हरीतकी (Haritaki Benefits for Syncope in Hindi)
अगर किसी बीमारी के कारण या कमजोरी के वजह से बेहोशी महसूस हो रही है तो हरीतकी का ऐसे सेवन से ही हरड़ के फायदे का सही लाभ मिल सकता है । हरड़ के काढ़ा से पके हुए घी का सेवन करने से मद और बेहोशी मिटती है।
ज्वर या बुखार में हरीतकी के फायदे (Harad Beneficial in Fever in Hindi)
अगर मौसम के बदलने के वजह से बार-बार बुखार आता है तो हरीतकी का प्रयोग उपचारस्वरुप ऐसे कर सकते हैं-
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में 1 मिली तिल तेल, 1 ग्राम घी तथा 2 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से जलन, बुखार,खाँसी, नाक और कान से खून बहना, सांस फूलना तथा उल्टी आदि के परेशानी से राहत मिलती है।
- 25 मिली मुनक्के के काढ़े में 3 ग्राम हरीतकी चूर्ण मिलाकर सुबह शाम पीने से बुखार से राहत मिलती है।
- 3 से 6 ग्राम हरीतकी चूर्ण का सेवन करने से बुखार के लक्षणों से राहत मिलती है।
- 5 ग्राम षट्पल घी को 10-30 मिली हरीतकी काढ़े के साथ सेवन करने से मलेरिया रोग में लाभ होता है।
रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की बीमारी) में फायदेमंद हरीतकी (Haritaki Benefits for Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)
रक्तपित्त में फायदेमंद हरीतकी |
हरीतकी का गुण रक्तपित्त से राहत दिलाने में बहुत लाभप्रद साबित होता है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) को वासा का रस, समान भाग पिप्पली का चूर्ण तथा द्विगुण मधु में मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है। हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठाने के लिए सही प्रकार से चूर्ण बनाने की ज़रूरत होती है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त, मलेरिया तथा दर्द से मुक्ति मिलती है।
- 3-6 ग्राम हरीतकी चूर्ण को समान भाग किशमिश के साथ सुबह शाम सेवन करने से रक्तपित्त, खुजली, पुराना बुखार आदि से राहत मिलने में मदद मिलती है।
शोथ या सूजन में हरीतकी के फायदे (Haritaki Beneficial in Inflammation in Hindi)
अगर किसी बीमारी के लक्षण स्वरुप हाथ और पैरों में सूजन आ गई है तो हरीतकी का सेवन निम्नलिखित प्रकार से करने पर फायदा मिलता है-
- सूजन से पीड़ित व्यक्ति को यदि सख्त मलत्याग हो रहा हो तो हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में समान मात्रा में गुड़ मिलाकर (प्रत्येक 2-2 ग्राम) खाना चाहिए।
- गोमूत्र के साथ केवल हरीतकी चूर्ण (Kadukka podi) का सेवन करने से भी सूजन कम होती है।
- 2-4 ग्राम कंसहरीतकी का सुबह शाम सेवन करने से सूजन तथा दर्द से राहत मिलती है।
- हरीतकी, सोंठ तथा देवदारु चूर्ण को समान मात्रा में लेकर या त्रिसमा गुटिका (हरीतकी, सोंठ, गुड़ समभाग) को गुनगुने गर्म पानी के साथ सेवन करने से शोथ (सूजन) दूर होती है।
- 2-5 ग्राम हरीतकी चूर्ण (haritaki churna) में गुड़ मिलाकर सेवन करने से सूजन में लाभ होता है।
- हरड़, सोंठ और हल्दी को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 10-30 मिली की मात्रा में सुबह-शाम पीने से बुखार के बाद जो सूजन की परेशानी होती है उसमें फायदा पहुँचता है।
त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial in Skin Related issues in Hindi)
त्वचा की समस्याओं के लिए हरीतकी का प्रयोग फायदेमंद होता है। त्वचा संबंधी समस्याओं में हरड़ में रोपण अर्थात हीलिंग का गुण पाया जाता है, इसके लिए हरीतकी के लेप को घाव पर लगाया जाता है जिससे घाव को शीघ्र भरने लगता है। हरीतकी में आयुर्वेद के अनुसार वर्ण्य गुण भी पाया जाता है जो कि त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है।
यौन समस्याओं के लिए हरड़ के फायदे (Benefits of Harad in Sex Related Problems in Hindi)
हरीतकी का प्रयोग यौन समस्याओं जैसे यौन संक्रमण (एसटीडी ) रोगों के लक्षणों को कम करने में भी किया जाता है। एक रिसर्च के अनुसार हरीतकी का प्रयोग यौन संक्रमण में फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटीवायरल का गुण पाया जाता है।
मधुमेह को नियंत्रण करने में हरड़ फायदेमंद (Haritaki Beneficial to Control in Diabetes in Hindi)
मधुमेह को नियंत्रण करने में हरड़ फायदेमंद |
मधुमेह में हरीतकी का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि रिसर्च के अनुसार शुगर को निंयत्रित करने का गुण पाया जाता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार ये रसायन यानि शरीर के इम्युनिटी पावर को बढ़ाकर बीमार होने से रोकने में मदद करता है। ऐसा होने के कारण मधुमेह से होने वाले उपद्रव से भी बचाती है।
पेट की गैस के लिए हरीतकी चूर्ण के फायदे (Haritaki Beneficial to Get Relief from Acidity in Hindi)
अगर आप पेट की गैस से परेशान है तो हरीतकी का चूर्ण आपके लिए सबसे अच्छा उपाय है क्योंकि हरीतकी में अनुलोमन का गुण पाया जाता है जो कि गैस को पेट के निचले हिस्से से शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है।
वजन घटाने के लिए हरड़ के फायदे (Haritaki Beneficial in Weight Loss in Hindi)
हरड़ का वजन को संतुलित करने में भी प्रयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो की शरीर से अवांछित पदार्थो को बाहर निकाल कर शरीर के वजन को संतुलित करने में मदद करती है।
और पढ़े- वजन बढ़ाने (मोटा होने) के घरेलू उपाय
फेफड़ों के विकार के लिए हरीतकी के फायदे (Benefit of Harad for Lungs Disease in Hindi)
हरीतकी का उपयोग फेफडों संबंधी विकारों को दूर करने में भी किया जा सकता है, क्योंकि हरीतकी में उष्णता का गुण पाया जाता है जो फेफड़ों में जमा कफ निकालने में मदद करता है।
दस्त और पेचिश में हरीतकी के फायदे (Haritaki Beneficial To Get Relief from Dysentery in Hindi)
दस्त और पेचिश में हरीतकी के फायदे |
हरड़ का प्रयोग रेचन गुण के कारण सभी लोग अधिकांश तय पेट को साफ करने के लिए इसका प्रयोग करते है लेकिन यह दस्त कर पेचिस में भी फायदा देती क्योंकि इसमें दीपन का गुण जो कि पाचन शक्ति को बढ़ाता है और साथी ये कषाय रस वाली है जो की बार -बार मल की प्रवत्ति को नियंत्रित करती है जिससे दस्त और पेचिस में आराम मिलता है।
बालों के लिए हरड़ के फायदे (Benefit of Harad for Hair Loss in Hindi)
आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि त्रिफला का एक भाग हरीतकी है और दो भाग बिभीतकी और आँवला है। त्रिफला बालों के समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है। हरीतकी का कषाय रस होता है जो कि बालों का मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है।
आंतों की नियमित सफाई के लिए हरड़ का सेवन (Benefit of Harad for Colon Cleansing in Hindi)
हरड़ का उपयोग उन लोगो के लिए फायदेमंद है जिनकी आंतों की सफाई ठीक से नहीं होती यानि जिनको कब्ज की समस्या बनी रहती है क्योंकि इसमें रेचन का गुण पाया जाता है जो की आंतों की सफाई में मदद करता है।
फंगल इंफेक्शन में हरड़ के फायदे (Harad Beneficial for Fungal Infection in Hindi)
एक रिचर्स के अनुसार हरड़ में एंटीफंगल का गुण पाया जाता है, इसलिए हरड़ का प्रयोग फंगल इन्फेक्शन में फायदेमंद होता है।
हरीतकी का उपयोगी भाग ( Useful Parts of Harad)
हरीतकी का फल, पत्ता तथा पञ्चाङ्ग का प्रयोग औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।
हरीतकी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Haritaki or Harde Powder in Hindi?)
चिकित्सक के परामर्शानुसार-
-10-30 मिली काढ़ा और
-2-6 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।
हरीतकी नमक के साथ सेवन करने से कफ रोग को, शक्कर के साथ पित्त को, घी के साथ वात-विकारों को और गुड़ के साथ सेवन करने से सब रोगों को दूर करती है।
जो हरीतकी का सेवन करना चाहते हैं, उन्हें वर्षा-ऋतु में नमक से, शरद् में शक्कर से, हेमन्त में सोंठ से, शिशिर में पिप्पली के साथ, वसन्त-ऋतु में मधु के साथ और ग्रीष्म ऋतु में गुड़ के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से ही हरड़ के फायदे का सही तरह से लाभ उठा सकते हैं।
हरीतकी का सेवन ज्यादा करने के साइड इफेक्ट (Side effects of Harad Churna or Haritaki)
हरीतकी का सेवन निम्न अवस्था में नहीं करनी चाहिए-
- अधिक चलने से थका हुआ व्यक्ति, कमजोर, जिसके पित्त अधिक हो और गर्भवती नारी को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे अवस्था में लेने से हरड़ से नुकसान पहुँच सकता है।
- अजीर्ण के रोगी, रूखे पदार्थों को खाने वाले, अधिक मैथुन करने वाले, शराब पीने वाले, भूख, प्यास तथा गर्मी से पीड़ित व्यक्तियों को हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
बीमारी के लिए हरीतकी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए हरीतकी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
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