शमी के पेड़ के फायदे और नुकसान - Shami Ke Ped Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi
शमी के पेड़ के बारे में जानकारी l जानिये शमी के फायदे और नुकसान l डायबिटीज, एनीमिया और बवासीर जैसी गंभीर रोगों में लाभदायक है शमी का पौधा
शमी के औषधीय गुण , फायदे और नुकसान - Shami Benefits and Uses in Hindi
शमी के औषधीय गुण , फायदे और नुकसान |
आमतौर पर लोग शमी के फायदे के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। विजयदशमी के दिन शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है। हवन के द्रव्यों में शमी की लकड़ी का भी प्रयोग किया जाता है। अधिकांश लोगों को केवल इतना ही पता है। आपको पता नहीं होगा कि शमी एक औषधि भी है, जिसका इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
आप कफ-पित्त विकार, खांसी, बवासीर, दस्त आदि में शमी के फायदे ले सकते हैं। इसके साथ-साथ रक्तपित्त, पेट की गड़बड़ी, सांसों की बीमारियों में भी शमी से लाभ मिलता है। आइए शमी के सभी औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं।
शमी क्या है? (What is Shami in Hindi?)
शमी का वृक्ष 9-18 मीटर ऊंचा, मध्यमाकार और हमेशा हरा रहता है। इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली, झुकी हुई और भूरे रंग होती हैं। इसकी छाल भूरे रंग की, फटी हुई, तथा खुरदरी होती है।
अनेक भाषाओं में शमी के नाम (Name of Shami in Different Languages)
शमी का वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria (Linn.) Druce (प्रोसोपिस सिनेरेरीया) Syn-Prosopis spicigera Linn. है, और यह Mimosaceae (मीमोसेसी) कुल का है। इसे इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Shami in –
- Hindi (shami tree in hindi)- छोंकर, शमी, खेजरी, छिकुर
- Sanskrit – शमी, सत्तुफला, शिवा, तुङ्गा, केशहत्री, शिवफला, मङ्गल्या, लक्ष्मी
- English – Khejri plant (खेजरी प्लान्ट)
- Urdu – कंडी (Kandi), जंडी (Jandi)
- Oriya – शामी (Shami), सोमी (Somi), खोदिरो (Khodiro)
- Konkani – शमी (Shami), जेम्बी (Xembi)
- Kannada – बन्नी (banni), पेरम्बाई (Perambai), टककीटे (Takkite)
- Gujarati – खीजड़ो (Khijado), खमड़ी (Khamdi), हम्रा (Hamra)
- Tamil – कलिसम् (Kalisam), पेरेम्बै (Parambai), जम्बु (Jambu)
- Telugu – जम्मि चेट्टु (Jammi chettu), जम्बी (Jambi)
- Bengali – शामी (Shami), शोमी (Somi)
- Punjabi – जंड (Jand), जंडी (Jandi)
- Marathi – शेमी (Shemi), सौन्डेर (Saunder), सोमी (Somi)
- Malayalam – पराम्पु (Parampu), वम्मी (Vammi)
- Arabic – गापैं (Ghaf)
शमी के औषधीय गुण (Shami Benefits and Uses in Hindi)
शमी के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
शमी के औषधीय गुण |
आंखों के रोग में शमी से लाभ (Benefits of Shami Tree in Eye Disease Treatment in Hindi)
- ताम्र के बर्तन में शंख को दूध से घिस लें। इसे घी युक्त जौ, तथा शमी के पत्तों की धूम दिखाकर आंखों में लगाएं। इससे आंखों का दर्द ठीक होता है।
- लोहे के बर्तन में गूलर के कच्चे फल को गाय के दूध के साथ घिस लें। इसे घी युक्त शमी के पत्तों की धूम दें। इसे आंखों में लगाने से आंखों की जलन, दर्द, लालिमा, पानी बहना आदि विकार ठीक होते हैं।
- कण्टकारी, दालचीनी, मुलेठी तथा ताम्र भस्म को बकरी के दूध के साथ पीस लें। इसे घी युक्त शमी, तथा आंवला के पत्तों की धूम देकर आंखों में लगाएं। इससे आंखों का दर्द और सूजन ठीक होता है।
- कौड़ी (Conch-shell) को गाय के दूध के साथ घिसकर तांबे के बर्तन में रखें। इसे घी युक्त शमी के पत्तों का धूम देकर प्रयोग करने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
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दस्त में शमी के सेवन से फायदा (Shami Plant Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)
- बराबर मात्रा में अरलू, तिन्दुक, अनार, कुटज तथा शमी की छाल का चूर्ण (1-4 ग्राम) लें। इन्हें कांजी, गुनगुना जल या मधु के साथ सेवन करें। इससे पेट के रोग जैसे दस्त पर रोक लगती है।
- बराबर मात्रा में शमी के कोमल पत्ते, तथा मरिच से बने पेस्ट का सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है।
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पेचिश में शमी के सेवन से लाभ (Benefits of Shami Plant to Stop Dysentery in Hindi)
- पिप्पली, सोंठ, शमी, बेल के वृक्षों के पत्तों से बनाई हुई विलेपी (खिचड़ी) और तेल सहित बनाए गए अपूप (पुआ), तथा पेस्ट का सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
- शमी की छाल या पत्ते के काढ़ा का सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
बवासीर में शमी के प्रयोग से लाभ (Shami Tree Benefits in Piles Treatment in Hindi)
बवासीर के मस्सों पर अभ्यंग के बाद अर्कमूल, तथा शमी की पत्तियों के धूम से धूपन करें। इससे लाभ होता है।
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एनीमिया रोग में शमी का उपयोग लाभदायक (Shami Leaves Benefits in Fighting with Anemia in Hindi)
शमी के नए कोमल पत्तों के पेस्ट (1-2 ग्राम) में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से एनीमिया रोग में लाभ होता है।
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मूत्र (पेशाब) रोग में शमी के प्रयोग से फायदा (Benefits of Shami Leaves for Urinary Disease in Hindi)
- शमी के पत्तों को पीसकर गुनगुना करें। इसे नाभि के नीचे लगाने से पेशाब के रुक-रुक कर आने और पेशाब में दर्द होने की समस्या में लाभ होता है।
- 15-20 मिली शमी पत्ते के रस में जीरा चूर्ण, तथा मिश्री मिला लें। इसे पिलाने से मूत्र संबंधी रोग ठीक होते हैं।
डायबिटीज में शमी का उपयोग फायदेमंद (Shami Leaves Uses in Controlling Diabetes in Hindi)
2-4 ग्राम शमी के कोमल पत्तों में 500 मिग्रा जीरा मिलाकर महीन पीस लें। इसे 200 मिली गाय के दूध में मिलाकर, छान लें। उसमें 1 ग्राम गुड़हल की जड़ का चूर्ण, तथा 4 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
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गर्भस्राव में शमी का प्रयोग (Shami Tree is Beneficial for Pregnancy in Hindi)
शमी के फूल के चूर्ण (1-3 ग्राम) में बराबर मात्रा में शर्करा मिलाकर सेवन करने से गर्भ का पौषण होता है।
गले के रोग में शमी का इस्तेमाल (Uses of Shami Plant for Throat Problem in Hindi)
गले के रोग में शमी का इस्तेमाल |
शमी, मूली बीज, सहिजन के बीज, जौ एवं सरसों को कांजी से पीसकर, पेस्ट बना लें। इसका लेप करने से ग्रन्थि तथा गले के रोग में लाभ होता है।
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रोम विकार में शमी का उपयोग (Uses of Shami Tree in Pore Disorder in Hindi)
केला तथा सोनापाठा की भस्म में हरताल, नमक तथा शमी के बीज मिला लें। उसे शीतल जल से पीसकर लेप करने से रोम छिद्र विकारों में लाभ होता है।
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विसर्प रोग में शमी का इस्तेमाल (Shami Leaves Benefits in Erysipelas Disease in Hindi)
शमी के पत्तों को पीसकर दही मिलाकर लेप करने से जलन वाले विसर्प रोग में लाभ होता है।
बच्चों को रोगों से बचाने के लिए शमी का इस्तेमाल (Shami is Beneficial for Childrens in Hindi)
पूतिकरञ्ज, क्षीरीवृक्ष, बर्बरी, कटुतुम्बी, इन्द्रायण, अरलु, शमी, बेल तथा कपित्थ के पत्ते एवं छाल से पकाए जल से बालक को स्नान कराएं। इससे लाभ होता है। ग्रह रोगों का प्रतिषेध होता है।
बिच्छू के डंक मारने पर करें शमी का उपयोग (Shami Helps in Scorpoing Bite in Hindi)
बिच्छू के डंक मारने पर करें शमी का उपयोग |
शमी के तने की छाल को पीसकर बिच्छू के डंक मारने वाले दंश स्थान पर लगाएं। इससे लाभ होता है।
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सांप के काटने पर शमी का प्रयोग (Shami is Beneficial for Snake Bite in Hindi)
शमी की छाल में बराबर मात्रा में नीम, तथा बरगद की छाल मिलाकर पीस लें। इससे सांप के काटने से होने वाले दुष्प्रभाव में लाभ होता है।
शमी के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Shami)
- तने की छाल
- फली
- पत्ते
शमी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Shami in Hindi?)
- रस – 15-20 मिली
- चूर्ण 1-3 ग्राम
चिकित्सक के परामर्शानुसार ही इसका इस्तेमाल करें।
शमी से नुकसान (Side Effect of Shami in Hindi)
शमी के क्षार को हरताल के साथ मिलाकर लगाने से बाल झड़ जाते हैं। इसलिए इसे केशहंत्री भी कहते हैं।
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